
Adam Lambert in ‘Cabaret’: Using the Stage to Confront Social Issues
अमेरिकन आइडल के फाइनलिस्ट और मशहूर गायक एडम लैम्बर्ट इन दिनों ब्रॉडवे के प्रतिष्ठित म्यूजिकल ‘कैबरे’ में अपने दमदार प्रदर्शन के लिए चर्चा में हैं। 15 सितंबर से शुरू हुई उनकी यह यात्रा 29 मार्च को समाप्त होगी। हाल ही में एक इंटरव्यू में, लैम्बर्ट ने शो के दौरान आई चुनौतियों और समाज में बढ़ती यहूदी-विरोधी भावनाओं पर खुलकर बात की।
Adam Lambert’s Journey in ‘Cabaret’
- ‘कैबरे’ में आदम लैम्बर्ट का दमदार प्रदर्शन
- ब्रॉडवे शो में यहूदी-विरोधी संदेश पर जताई चिंता
- दर्शक की हरकत पर मंच पर ही लगाई फटकार
- ‘कैबरे’ की कहानी आज के समाज में भी प्रासंगिक
- कला के जरिए सामाजिक बदलाव की पहल
अमेरिकन आइडल फाइनलिस्ट और प्रसिद्ध गायक आदम लैम्बर्ट इन दिनों ब्रॉडवे के मशहूर म्यूजिकल ‘कैबरे’ में अपने किरदार ‘एमसी’ को लेकर चर्चा में हैं। 15 सितंबर से शुरू हुई उनकी यह यात्रा 29 मार्च को समाप्त होगी। हाल ही में ‘द व्यू’ के एक एपिसोड में उन्होंने इस शो के दौरान आई चुनौतियों और समाज में बढ़ते यहूदी-विरोधी (Anti-Semitism) भावनाओं पर अपनी राय रखी।
शो के संदेश को लेकर लैम्बर्ट गंभीर
लैम्बर्ट ने बताया कि ‘कैबरे’ म्यूजिकल 1930 के दशक के प्री-वर्ल्ड वॉर II जर्मनी की कहानी है, जब नाजियों का प्रभाव बढ़ रहा था। उन्होंने शो के एक सीन का ज़िक्र किया, जिसमें एक “गोरिल्ला” को लेकर व्यंग्यात्मक प्रस्तुति दी जाती है। इस गाने का नाम है “इफ यू कुड सी हर”, जो समाज में यहूदियों के प्रति भेदभाव की ओर इशारा करता है।
उन्होंने समझाया कि यह सीन सतही तौर पर मनोरंजक लगता है, लेकिन इसके पीछे एक गंभीर सामाजिक संदेश छुपा है। गाने के अंत में एक लाइन आती है: “अगर आप उसे मेरी नजरों से देखें, तो वह यहूदी बिल्कुल नहीं लगेगी।” यह लाइन उस समय के समाज में फैली यहूदी-विरोधी मानसिकता को उजागर करती है।
शो के दौरान दर्शक पर भड़के लैम्बर्ट
लैम्बर्ट ने बताया कि एक प्रदर्शन के दौरान, जब उन्होंने यह लाइन गाई, तो कुछ दर्शक इसे मजाक के रूप में लेने लगे। इस पर उन्होंने मंच पर ही प्रदर्शन रोककर दर्शकों को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, “नहीं, नहीं, नहीं… यह कॉमेडी नहीं है, ध्यान दीजिए।”
लैम्बर्ट ने आगे कहा कि पहला एक्ट हल्का-फुल्का और मनोरंजक होता है, लेकिन दूसरा एक्ट गंभीर वास्तविकताओं को सामने लाता है। इसमें बताया गया है कि कैसे नाजी शासन ने उन लोगों को निशाना बनाया, जो समाज में अलग और अल्पसंख्यक थे।
आज के समय में भी प्रासंगिक है ‘कैबरे’
लैम्बर्ट का मानना है कि यह म्यूजिकल आज के समय में भी बेहद प्रासंगिक है। उन्होंने कहा, “1960 के दशक में जब यह शो पहली बार आया था, तब भी यह महत्वपूर्ण था, लेकिन आज के हालात को देखते हुए यह और भी जरूरी हो गया है।”
उन्होंने दर्शकों से अपील की कि वे इस म्यूजिकल के माध्यम से दिए गए सामाजिक संदेश को समझें और समाज में भेदभाव और नफरत के खिलाफ आवाज उठाएं।
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